"उत्तर भारतीय ब्रह्म समाज'' का गठन भारत देश के गुजरात राज्य में किया गया, जो गाँधीजी तथा सरदार पटेल की जन्मस्थली, कर्मस्थली एवं तपोभूमि रही है ।
गुजरात के विशालतम शहर अहमदाबाद के दक्षिणी प्रखण्ड 'वटवा' में इस समाज की प्रतिष्ठापना हुई । समाज के प्रबुद्घ वर्ग के लोग एकत्रित हुए जिसमें विचारों का आदान-प्रदान करते हुए सार्वजनिक रूप से एक संगठित समाज की आवश्यकता को महसूस किया गया । एक विचार सामने आया कि ब्राह्मणों का एक ऐसा संगठन तैयार किया जाय जो सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, नैतिक एवं मानवीय रूप से समाज के हर सदस्य के लिये सहायक हो सकें । हर व्यक्ति को समाज का संबल प्राप्त हो सके । यही उदात्त भावना "उत्तर भारतीय ब्रह्म समाज'' की स्थापना की मूल प्रेरणा रही है ।
किसी भी बृहत् समाज का गठन अपने प्रारंभकाल में सांयोगिक एवं संघर्षपूर्ण होता है । इस समाज की प्रथम बैठक 4 फरवरी, 2006 के दिन वटवा स्थित घनश्याम विजय सोसायटी के कॉमन प्लॉट में श्री राजेश तिवारी के नेतृत्व में हुई जिसमें 50 से अधिक ब्राह्मण बंधु सम्मिलित हुए । इस बैठक में सर्वप्रथम समाज के नाम का प्रस्ताव रखा गया । जिसका अनुमोदन सभी लोगों ने सर्वसम्मति से किया । तत्पश्चात् संस्था की द्वितीय बैठक आशीर्वाद हिन्दी हाईस्कूल के प्रांगण में श्री बी. एच. शुक्ल, श्री सुरेश पाण्डेय एवं श्री शशिकान्त तिवारी (वटवा) के नेतृत्व में हुई । जिसमें 75 से अधिक ब्राह्मणों ने भाग लिया । इस बैठक में प्रखण्ड के अनुसार लोगों को नियुक्त किया गया जो अपने अपने विस्तार में ब्राह्मण समुदाय के लोगों को इस समाज के गठन के बारे में जानकारी देकर एवं उन्हें प्रोत्साहित करके इस संगठन को सशक्त बना सके । सतत प्रयास चलता रहा, लोग अपना बहुमूल्य समय देकर इस कार्य में लगे रहे । और यह समाज उत्तरोत्तर बढ़ता रहा । इसके पश्चात् इस संगठन की तीसरी बैठक वटवा विस्तार के विश्वकुंज सोसायटी के कॉमन प्लॉट में श्री संजय पाण्डेय के नेतृत्व में रखी गयी जिसमें १०० से अधिक ब्राह्मण बंधु सम्मिलित हुए । इस बैठक में यह निश्चित किया गया कि बैठक में उपस्थित हर व्यक्ति अगली बैठक में अपने साथ एक अन्या व्यक्ति को अवश्य लायेगा ।
इसी पद्घति को अपनाते हुए चौथी बैठक नरोडा फायर स्टेशन, नरोडा रोड पर श्री विनोद तिवारी एवं अजय तिवारी के नेतृत्व में रखी गयी जिसमें लगभग 150 व्यक्ति सम्मिलित हुए ।
समाज की इस उत्तरोत्तर प्रगति के कारण सक्रिय लोगों का हौसला बढ़ता गया और अपनी संख्या में वृद्घि करने के लिये वे सतत परिश्रम करते रहे । अभी तक इस समाज के अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाया था । विलंब के कारण प्रतिक्रियाएँ आनी प्रारंभ हो गयी थीं । अतःसंस्था की पाँचवी एवं निर्णायक बैठक सार्थक शॉपिंग सेन्टर की छत पर श्री चंद्रकान्त तिवारी, श्री हरिश्चंद्र दुबे, श्री संजय तिवारी, श्री घनश्याम शुक्ल एवं श्री रामसजीवन त्रिपाठी के नेतृत्व में रखी गयी जिसमें कर्णावती ब्रह्म समाज के उपप्रमुख एवं दुर्गानगर को-ओपरेटिव सोसायटी के चेयरमैन श्री उद्घवजी पाण्डेय को आमंत्रित किया गया ।
समाज की कार्यशैली, इसकी प्रगति एवं लोगों के उत्साह को देखते हुए श्री उद्घवजी पाण्डेय ने उद्गार व्यक्त किया कि एक दिन यह समाज अन्य सभी संगठनों से बेहतर साबित होगा ।
उद्घवजी की तन्मयता, निर्भीकता एवं नेतृत्व योग्यता को परखते हुए अध्यक्ष पद के लिये उनके नाम का प्रस्ताव श्री सुरेश पाण्डेय ने रखा और श्री अजय तिवारी एवं अन्य उपस्थित लोगों ने इसका अनुमोदन किया । इस बैठक में लगभग 200 से 250 ब्राह्मण बंधु उपस्थित थे जिसमें नरोडा, मणिनगर, खोखरा, साबरमती, वटवा, घोडासर, ईसनपुर, अमराईवाडी, वस्त्राल, राणिप इत्यादि विस्तारों से लोग आये हुए थे ।
अध्यक्षश्री के चुनाव के पश्चात् परंपरानुसार उनका सम्मान एवं शपथ ग्रहण समारोह 10 दिसंबर, 2006 के दिन निगम सोसायटी के कॉमन प्लॉट में रखा गया जिसमें प्रमुख रूप से कर्णावती समाज के प्रांतीय अध्यक्ष श्री लालजी महाराज, श्री पुरुषोत्तम शर्मा, सरयू मंदिर के संतश्री शिवरामदासजी महाराज, श्री शालिकराम मिश्र, श्री पी. पी. पाण्डेय, श्री डी. वी. पाण्डेय, श्री. ओ.पी. दीक्षित, श्री आर. के. चतुर्वेदी एवं श्री सर्वेन्द्रमणि त्रिपाठी जैसे अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे ।
कार्यक्रम का संचालन श्री सुरेश पाण्डेय ने किया । इसी दिन कार्यकारिणी एवं पदाधिकारियों का भी चयन किया गया । श्री राजेन्द्र प्रसाद मिश्र को महामंत्री एवं श्री सुरेश पाण्डेय को कोषाध्यक्ष चुना गया । तत्पश्चात् संस्था में सदस्य जुड़ते गये ओर अब तक संख्या १८०० के आसपास पहुँच चुकी है । संस्था में प्रतिवर्ष वार्षिक स्नेह मिलन, सुंदरकाण्ड पाठ, पुरस्कार वितरण, यज्ञोपवीत कार्यक्रम, दीपावली मिलन समारोह इत्यादि कार्यक्रम होते रहते हैं ।
इसके अतिरिक्त रक्तदान शिविर, लेखन-पुस्तिका वितरण, दीपावली ग्रीटिंग कार्ड इत्यादि कार्यक्रम भी होते रहते हैं । समाज की मुखपत्र-स्मारिका २०१६ (संपर्क सेतु-२०१६) प्रकाशित हो चुकी हैं जिससे समग्र गुजरात का ब्राह्मण वर्ग लाभान्वित हो रहा है ।
Copyright © 2024 उत्तर भारतीय ब्रह्म समाज. All Rights Reserved | Powered By:- Techspin Solutions